डीपफेक क्या है। डीपफेक को आप कैसे पहचान सकते है? Deepfake kya hai Deepfake video ko kaise pahchane
आपने कभी न कभी सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो देखे होंगे। जो देखने मे तो असली लगते हैं लेकिन वे असली वीडियो नहीं होते। इस तरह की वीडियो को AI के माध्यम से बनाए जाते हैं। यह एक तरह का AI scam है। इस तरह के कंटेंट को Deepfake कहते है। आजकल यह मीडिया में काफ़ी छाया हुआ है।
डीपफेक को आप कैसे पहचान सकते है? (Deepfake kya hai Deepfake video ko kaise pahchane)
डीपफेक क्या है (Deepfake kya hai)
डीपफेक का मतलब ऐसे वीडियो, ऑडियो और तस्वीर जो देखने में तो असली लगते हैं लेकिन होते नकली है। जिसका इस्तेमाल लोगों को गुमराह करने या मजे लेने के लिए कुछ लोग करते है।
लेकिन कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इसके माध्यम से कुछ लोग, गलत सूचना फैलाने, लोगों को परेशान करने या ब्लैकमेल करने में कर रहे है। जो कि गलत है।
झूठ को सच बनाने की कोशिश
हाल में कई एक्ट्रेस भी डीपफेक का शिकार हुई है जिनमे आलिया भट, कैटरीना कैफ जैसे अभिनेत्री भी शामिल है। इस तरह लोग किसी और का वीडियो को AI के जरिये फेस को बदल देते है।
इस तरह वीडियो बिल्कुल असली वीडियो की तरह लगते है। विडियो असली है या नकली है। यह पता लगाना मुश्किल होता है। यह केवल भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि विदेशों में भी कई लोग इसके शिकार हुए है जैसे कि राष्ट्रपति बराक ओबामा, मार्क जुकरबर्ग आदि।
अगर इस तरह के वीडियो एंटरटेनमेंट के उद्देश्य से बनाया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इसका इस्तेमाल अगर कोई लोगो को भ्रमित करने के लिए करता है फिर यह सोचने वाला प्रश्न है।
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डीपफेक कैसे किया जाता है?
आजकल सोशल मीडिया काफी प्रचलित हो गया है। लगभग हर किसी का अकाउंट सोशल मीडिया पर उपलब्ध है। चाहे वह सामान्य लोग या वह कोई सेलिब्रिटी हो। हर किसी का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर उपलब्ध है।
इस चीज का कुछ लोग फायदा उठाते है। वे AI की मदद से किसी के भी फोटो को किसी के द्वारा बनाये गए वीडियो के चेहरे को बड़ी आसानी से बदल देते है। इस तरह के डीपफेक वीडियो, वेबसाइट या Apps की मदद से बनाये जाते है।
इस तरह के कंटेंट को पहचानना मुश्किल होता है कि ये असली है या नकली है। एक सर्वे अनुसार 43% लोगों ने माना कि वे डीपफेक और असली वीडियो में अंतर नहीं बता सकते है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक विभिन्न तरह के व्यापार को डीपफेक के कारण 10 खरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
आप डीपफेक वीडियो को कैसे पहचान सकते है।
वैसे तो इस तरह के वीडियो को पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन आप कुछ चीजों का ध्यान देंगे तो आप उसे पहचान सकते है।
धुंधलापन – अगर आपको वीडियो में किसी तरह का धुंधलापन दिखता है इस तरह का धुंधलापन चेहरे, बाल, गालो, स्किन पर दिखता है। इस तरह के चीजों को ध्यान देकर आप पहचान सकते है।
आवाज और वीडियो का तालमेल – अगर आपको लगता है आवाज और वीडियो का तालमेल सही नहीं है, जैसे मुँह का मूवमेंट, आंखों का मूवमेंट। तो इस तरह की वीडियो डीपफेक वीडियो हो सकता है।
आकार में गरबड़ी – अगर आप इस तरह के वीडियो को Zoom करेंगे तो आप कई चीजें अपने वास्तविक आकार में नहीं दिखाई देती है। इस तरह आप इसे पहचान सकते है।
रोशनी का भी ध्यान दे – अगर आप इस तरह का वीडियो देखेंगे तो आपको रोशनी असामान्य दिखाई देगी।
वीडियो का सोर्स – वीडियो के सोर्स के बारे में जानने की कोशिश करे। यह चेक करें, उस व्यक्ति का यह Real Account है या नकली AC है।
AI टूल से पता करे – मार्किट में कई ऐसे AI Tool उपलब्ध है जिसके जरिये आप पता लगा सकते है कि वीडियो असली है नकली है। जैसे कि DeepWare AI, Hive, Sensity
कुछ चीजों जिनको ध्यान देनी चाहिए
किसी भी तरह की जानकारी साझा करने से पहले उसकी सत्यता जांच कर लेनी चाहिए कि वह सही है या नहीं है। उसके बाद ही जानकारी साझा करनी चाहिए।
ऑनलाइन उपलब्ध किसी भी कंटेंट पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए। इस तरह के Content के ऊपर संदेह करना भी जरूरी है।
आप ऑनलाइन क्या साझा कर रहे है इसके प्रति सजग रहे। ऐसी चीजें शेयर न करे जिसका इस्तेमाल डीपफेक कंटेंट बनाने में किया जा सकता है।
अपने ऑनलाइन खातों की सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें। अपने सिस्टम में Two-factor Authentication को चालू कर दे। ऐसे करने से आप Scam के जोखिम को कम कर सकते है।
डीपफेक से संबंधित कुछ घटनाएं
आजकल डीपफेक का इस्तेमाल विज्ञापन के लिए भी किया जा रहा है। एक विज्ञापन में अनिल कपूर के पुराने वीडियो को AI के जरिये बदल दिया गया था। इसके बारे में अनिल कपूर को कोई जानकारी नहीं थी। अनिल कपूर ने इसके खिलाफ मुकदमा भी दायर किया था।
केरल के एक 73 साल के व्यक्ति के पास उनके दोस्त का video call आया। जिसमें उसने पैसे की मदद मांगी। उन्होंने अपने दोस्त को 40,000 रुपये ट्रांसफर भी कर दिए। जबकि यह Call डीपफेक के जरिये किया गया था। जिसमे उसके दोस्त का फेस और ऑडियो का इस्तेमाल किया गया था।
इसी तरह एक राजनेता का भी वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एक राजनेता दूसरे राजनेता के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करते दिखाया गया था।
इस तरह के वीडियो का इस्तेमाल भविष्य में किसी की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। सरकार को इस तरह के वीडियो को रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।
कुछ लोग इसका इस्तेमाल लोगो को ठगने, ब्लैकमेलिंग करने, फर्जी न्यूज़ बनाने और अपराध को अंजाम देने के लिए कर सकते है। इसके लिए सरकार और जो इस तरह की AI कंपनी को सोचना चाहिए।
सचिन तेंदुलकर भी हुए डीपफेक का शिकार
इस वीडियो में सचिन तेंदुलकर को गेम के प्रमोशन करते दिखाया गया है। जो की AI के जरिये बनाया गया है। सचिन तेंदुलकर ने twitter पर बताया कि यह नकली वीडियो है, जो लोगों को धोखा देने के लिए बनाया गया है। अगर किसी को इस तरह के वीडियो दिखते है। उनको वे जरूर रिपोर्ट करे।
डीपफेक बारे में कानून क्या कहता है
इसके खतरे को देखते हुए भारत में कानून बनाने की बात हो रही है। वैसे भारत में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत प्रावधान है। अगर कोई व्यक्ति किसी का डीपफेक वीडियो उसकी सहमति के बिना बनाता है। तो यह उस व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन है। और उस व्यक्ति के ऊपर क़ानूनी करवाई की जा सकती है।
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